व्यपगत सिद्धांत या लार्ड डलहौजी की राज्य हड़प नीति या गोद प्रथा निषेध की नीति
मुगल साम्राज्य के तहत कला और वास्तुकला
भारतीय इतिहास का कालक्रम के बारे में नीचे जानें :
भारत में प्रागैतिहासिक संस्कृतियाँ : मध्यपाषाण काल और नवपाषाण काल
) में सामंती अर्थव्यवस्था विद्यमान थी।
आर्य लोग खानाबदोश गड़ेरियों की भांति अपने जंगली परिवारों और पशुओं को लिए इधर से उधर भटकते रहते थे। इन लोगों ने पत्थर के नुकीले हथियारों से काम लेना सीखा। मनुष्यों की इस सभ्यता को वे 'यूलिथ- सभ्यता' कहते हैं। इस सभ्यता में कुछ सुधार हुआ तो फिर 'चिलियन' सभ्यता आई। इन हथियार औजारों की सभ्यता के समय का मनुष्य नर वानर के रूप में थे। उनमें वास्तविक मनुष्यत्व का बीजारोपण नहीं हुआ था।
डॉ जय प्रकाश वर्मा, वीर बहादुर सिंह राजकीय महाविद्यालय कम्पियरगंज , गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में एसोसिएट प्रोफेसर- इतिहास के पद पर कार्यरत है। इनका जन्म अम्बेडकरनगर जिले के एक छोटे से गांव कासिमपुर में हुआ था। पूरा जानिये
तक जोड़े जाते रहे read more हैं। आर्यमंजुश्रीमूलकल्प में बौद्ध दृष्टिकोण से गुप्त राजाओं का वर्णन है। महायान से संबद्ध ललितविस्तर में बुद्ध की ऐहिक लीलाओं का वर्णन है। पालि की ‘निदान कथा’ बोधिसत्त्वों का वर्णन करती है। ‘विनय’ के अंतर्गत पातिमोक्ख, महावग्ग, चुग्लवग्ग, सुत विभंग एवं परिवार में भिक्खु-भिक्खुनियों के नियमों का उल्लेख है। प्रारंभिक बौद्ध साहित्य थेरीगाथा से प्राचीन भारत के सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन की जानकारी तो मिलती ही है, छठी शताब्दी ई.पू. की राजनीतिक दशा का भी ज्ञान होता है।
हिन्द-स्क्य्थिंस राज्य (२०० ई.पू.–४०० ईसवी)
धार्मिक साहित्य का उद्देश्य मुख्यतया अपने धर्म के सिद्धांतों का उपदेश देना था, इसलिए उनसे राजनीतिक गतिविधियों पर कम प्रकाश पड़ता है। राजनैतिक इतिहास-संबंधी जानकारी की दृष्टि से धर्मेतर साहित्य अधिक उपयोगी हैं।
पूर्व-मध्यकालीन भारत (गूगल पुस्तक; लेखक - श्रीनेत्र पाण्डेय)
महाकाव्य : वैदिक साहित्य के उत्तर में रामायण और महाभारत नामक दो महाकाव्यों का प्रणयन हुआ। उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इन महाकाव्यों का रचनाकाल चौथी शती ई.
रोमन साम्राज्य का इतिहास एवं इटली का एकीकरण
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